vashikaran totka - An Overview
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अरे अपने लिए खाने और रहने के लिए प्रबंध तो दुसरे सभी प्राणी – जीव जानवर भी करते ही हैं.
इससे आगे की सोच हमारे बस की बात नहीं है. तो क्या बस यही जीवन है? खाना, कमाना और आखिर में मर जाना.
आखिर में आपसे यही कहना चाहेंगे की बुरे कर्मो से बचें, अपना दिल साफ़ रखें, दूसरों की भलाई करें और परमात्मा से सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करें.
ईश्वर का आनंद असीम है, निरंतर है, और नित्य नवीन है। जब आप उस चेतना में होते हैं तो आप का शरीर, मन, या कुछ भी आपको अशांत नहीं कर सकता- ऐसी है ईश्वर की कृपा और महिमा। जो कुछ भी आप समझ नहीं पाए हैं; जो कुछ भी आप जानना चाहते हैं, वह सब आपको स्पष्ट कर देंगे।
अतः, इस कारण ईश्वर की खोज करना उचित ही है। वे सभी भक्त जो सच्चाई से उन्हें खोजते हैं वे उन्हें अवश्य प्राप्त करेंगे। जो ईश्वर को प्रेम करना चाहते हैं और उनके साम्राज्य में प्रवेश करने की लालसा रखते हैं, और जो सच्चे हृदय से उन्हें जानना चाहते हैं, वे उन्हें पा लेंगे। दिन और रात उनके लिए आपके मन में इच्छा सदा बढ़ती रहनी चाहिए। वे आपको दिए गए वचन को अनन्तता तक निभा कर आपके प्रेम का प्रत्युत्तर देंगे, और आप अन्तहीन आनन्द और सुख को जान जाएंगे। सब प्रकाश है, सब आनन्द है, सब शांति है, सब प्रेम है। वे ही सब कुछ हैं।
तो जो लोग पूछते हैं की आखिर हमें इस जीवन में क्या करना है, वो सब इन बातों का ध्यान रखें, राह से ना भटकें और दुर्गुणों से बचें. अगर जीवन मरण के चक्कर से छुटकारा पाना है तो पाप की दुनिया से बाहर निकलिए और भगवान् के सानिध्य में रहें.
चाहे जीवन आपको एक ही साथ वह सब कुछ दे भी दे जिसकी आपको इच्छा थी-धन, शक्ति, मित्र- तो कुछ समय पश्चात् आप पुनः असन्तुष्ट हो जाएंगे तथा, कुछ और अधिक चाहेंगे। परन्तु एक ऐसी वस्तु है जो आपके लिए कभी नीरस नहीं हो सकती अर्थात् आनन्द स्वयं। सुख जो कि आनन्दप्रद ढंग से विविध प्रकार का है, यद्यपि इसका सार-तत्त्व अपरिवर्तनीय है, यह ऐसी आन्तरिक अनुभूति है जिसे प्रत्येक व्यक्ति खोज रहा है। चिरस्थाई, नित्य नवीन आनंद ईश्वर है। इस आनंद को अपने भीतर प्राप्त करके, आप इसे प्रत्येक बाह्य वस्तु में भी पाएंगे। ईश्वर में आप चिरस्थाई अक्षय परमानन्द के भंडार को प्राप्त करेंगे।
मनुष्य पृथ्वी पर केवल ईश्वर को जानना सीखने के लिए आया है, वह किसी और कारण से यहाँ नहीं है। यही ईश्वर का सच्चा संदेश है। जो उन्हें खोजते हैं और उनसे प्रेम करते हैं, उन सबको वे उस महान् जीवन के विषय में बताते हैं जहाँ कोई पीड़ा नहीं है, कोई वृद्धावस्था नहीं है, कोई युद्ध नहीं है, कोई मृत्यु नहीं है—केवल शाश्वत आश्वासन है। उस जीवन में कुछ भी नष्ट नहीं होता। वहाँ केवल वर्णनातीत आनन्द है जो कभी फीका नहीं पड़ता—एक आनन्द जो नित्य-नवीन रहता है।
हमारे साधू संतों और ग्रंथों के मुताबिक केवल परमात्मा ही आपको इस जीवन – मरण के चक्कर से छुटकारा दिला सकते हैं. मतलब आपको पूरी तरह से मुक्ति दिला सकते हैं.
संन्यासियों का दौरा तथा क्रिया दीक्षा समारोह
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देखिये जीवन तो भगवान् ने सभी प्राणियों को दिया ही है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की परमात्मा ने इंसान को क्यों बनाया. इतना तो आप सब जानते ही होंगे की सभी प्राणियों में परमात्मा ने इंसान को सर्वश्रेस्ठ बनाया है.