5 Essential Elements For Shodashi
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In another depiction of hers, she is shown to be a sixteen-calendar year-old youthful and sweet girl decorated with jewels that has a dazzling shimmer in addition to a crescent moon adorned above her head. She's sitting around the corpses of Shiva, Vishnu, and Brahma.
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
The reverence for Goddess Tripura Sundari is evident in just how her mythology intertwines Along with the spiritual and social material, giving profound insights into the character of existence and The trail to enlightenment.
By far the most revered between these could be the 'Shodashi Mantra', which can be stated to grant both of those worldly pleasures and spiritual liberation.
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
Shodashi Goddess is among the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of wisdom. Her name ensures that she could be the goddess who is usually sixteen many years aged. Origin of Goddess Shodashi takes place soon after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा click here है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
Chanting this mantra is thought to invoke the merged energies and blessings in the goddesses linked to Each and every Bija mantra. It may be used for a variety of needs for instance attracting abundance, looking for knowledge, invoking divine femininity, and fostering spiritual progress and transformation.